Sunday 10 February 2013

मेरा प्रिय खेल


मेरा प्रिय खेल

       सभी को कोइ–न- कोइ खेल पसंद होता है। मैं भी खेल–कूद का बहुत शौकीन हू। गुल्ली – डंडा , कबड्डी ,टेनिस और बैड्मिंटन खेलने में मुझे बहुत मजा आता है। फुटबाल और हाकी भी मुझे पसंद है । पर मेरा सबसे प्रिय खेल तो क्रिकेट है। केवल मैं ही नहीं, सारी दुनिया खेलों के राजा क्रिकेट की दीवानी है ।
       मेरे जीवन में क्रिकेट का विशेष स्थान हैं। क्रिकेट से मेरा गहरा रिश्ता है । मैं रोज शाम को अपने मित्रों के साथ मैदान में क्रिकेट खेलने जाता हू । कैकेट के प्रति मेरी एसी लगन देखकर मेरे पिताजी ने मुझे एक मशहूर कंपनी का बल्ला खरीद कर दिया है । मुझे अपने चाचाजी से क्रिकेट की अच्छी तालीम मिली है। वे क्रिकेट के मशहूर खिलाडी है । चाचाजी के कारण ही क्रिकेट में मेरी रूचि बढी है । क्रिकेट से संबंधित कइ पुस्तकें मेरे पास हैं । मैं क्रिकेट के सभी नियमों और पहलुओं से परिचित हो गया हूं । क्रिकेट के लगभग सभी जानेमाने खिलाडिंयो के चित्र मेरे अलबम में हैं ।
        मैंने अपने मुहल्ले में क्रिकेट की अक टीम बनाई है । कभी कभी हम अन्य टीमों के साथ अक दिवसीय मैच खेलते हैं । उनमें अकसर हमारी ही टीम विजेता बनती है । स्कूल की क्रिकेट टीम का मैं ‘ आल राउडंर ‘ खिलाडी हू ।
          इस खेल से मेरे पूरे शरीर की अच्छी कसरत मिल जाती है । मेरा शरीर फुर्तीला बना रहता है । क्रिकेट के कारण ही मुझमें अनुशासन तथा सहयोग आदि भावनाओ का विकास हुआ है ।
            मैं बडा होकर क्रिकेट की दुनिया का एक तेजस्वी  सितारा बनना चाहता हूं । मेरा हमेशा यह प्रयास होगा कि क्रिकेट के खेल में हमारे देश का स्थान प्रथम रह्वे । क्रिकेट के खिलाडियों  को नाम और दाम (पैसा) दोनों खूब मिलते हैं ।जिस खेल में नाम और दाम दोनो कमाने का अवसर हो, वह खेल भला किसे प्रिय न हो !      

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